Bina Galti Ki Saza Shayari
बिना गलती की सजा यानी कि हमारी कोई भी गलती नहीं होती है फिर भी सामने वाला हम को उसी गलती की सजा देता है जो गलती हमने की ही नहीं या फिर प्यार करने की सजा या फिर किसी भी टाइप की सजा सजा तो आखिर सजा ही होती है।
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बिना गलती की सजा
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Bina Galti Ki Saza Quotes In Hindi
आजकल तुम मुझे बेवजह नजरअंदाज करने लगे हो, सच बताओ। कोई गलती हुई मुझसे या किसी और, से प्यार करने लगे हो।
ऐसी क्या गलती कर दी हमने की तुम खफा हो गए, उम्र भर साथ निभाने का वादा करने वाले बेवफा हो गए।
तू साथ है तो फिर कोई गम नहीं,पर तेरा रूठना भी किसी सजा से कम नहीं।
सजा भी अब अदा बन गई है,लगता है उनसे मोहब्बत हो गई है।
ऐ खुदा मोहब्बत को इतनी अता दे,जिसका दिल सच्चा हो उसे सजा न दे।
सीख लेना गलतियों से, निराश मत होना,बार-बार अपनी गलतियों को सोचकर उदास मत होना।
जिन्दगी में अक्सर दूसरे लोग ही गलतियाँ दिखाते हैं,पर ये मत समझ लेना कि वो आपका दिल दुखाते हैं।औरों से थोड़ा अलग हूँ मैं,इसलिए दिखता गलत हूँ मैं। तुझे चाहना जैसे एक सजा है,पर दुआ है कि मुझे इसमें उम्र कैद मिले। बिना गलती की सजा शायरी सजा मिली उन गुनाहों की जो मेरे हरगिज न थे, मैं वो आँसू भी रोया जो खान साहब के नसीब में न थे। दुश्मनों को सज़ा देने की एक तहज़ीब है मेरी, मैं हाथ नहीं उठाता बस नज़रों से गिरा देता हूँ। चलो बाट लेते हैं अपनी सज़ाऐं, ना तुम याद आओ ना हम याद आए। बहुत दर्द देती है वो सजा, इश्क़ में वफ़ा करने के बाद जो मिलती है। माँ-बाप हीं हमारी सब गलतियों को भूला देते हैं, जमाने वाले तो जरा सी बात का तमाशा बना देते हैं। हर किसी की यही कहानी है, अपनी गलती ढूंढे नहीं मिलनी है,, दूसरे की गलती यूँ हीं नजर आनी है। गलतियों का हवाला देकर कोई भी, किसी को भी छोड़ जाता है, अब तो बेवफाई का यही अंदाज, हर ओर नजर आता है। दो लोग जब एक-दूसरे की गलतियों को माफ़ नहीं कर पाते हैं, तो ऐसे कमजोर रिश्ते कुछ दिनों में टूटकर बिखर जाते हैं। दिल में है जो दर्द वो दर्द किसे बताएं, हंसते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाएँ। कहती है ये दुनिया हमे खुश नसीब,मगर इस नसीब की दास्ताँ किसे बताएं। हर इनायत हर खुशी आपकी हो, महक उठे वो महफ़िल जिसमे हँसी आपकी हो। कोई भी लम्हा आप उदास ना हो, खुदा करे ज़न्नत जैसी ज़िंदगी आपकी हो। बिना गलती की सजा स्टेटस हम हैं कि क्या क्या सोचते हैं, गलतऔरों के फेर में, अफसोस कि खुद को भी, औरों कीनज़र से देखते हैं। मिट गए न जाने कितने ख़ुदा की तलाश में, मगर अब तो हर तरफ हम,, ख़ुदा ही ख़ुदा देखते हैं। मुझे मंजूर थे वक़्त के सब सितम मगर, तुमसे मिलकर बिछड़ जाना ये सजा ज़रा ज्यादा हो गयी। क्यों ना मिलती हमे मोहब्बत में सजा आखिर, हमने भी बहुत दिल तोड़े थे उस सख्स की खातिर। क्या पता उसको कि वो मुझ को सज़ा देता है, वो तो मासूम है जीने की दुआ देता हैं। सुनो ना तुम बार बार गलती करती हो, तुम इश्क़ करती हो या नर्सरी में पड़ती हो।
लाइफ समझदारी का नाम नहीं उसमे, गलतियां भी करनी भी जरुरी है। क्युकी अक्सर गलतियों से अपनों की पहचान, हो जाया करती है।
मेरी गलती होगी तो मुझे बताओगे, किसी तीसरे को हमारे बिच में नहीं लाओगे। यही वादे थे मेरे जो उनसे निभाए नहीं गए, अगर यह गलत है तो, सही क्या है बताओ मुझे ।।
लगती और इश्क़ किया नहीं जाता हो जाता है, मलाल इस बात का है। गलती से इश्क़ और इश्क़ में गलती हो ही जाती है।