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मुक़ाम-ए-इश्क Manoj Agarwal

 मुक़ाम-ए-इश्क, एक खास जगह है,

जहाँ दिलों की बातें कही जाती हैं।


वहाँ हर रोशनी, तेरे इश्क से है,

मुक़ाम-ए-इश्क, एक ख्वाब सा है।


आसमानी राहों में, जहाँ परवाह नहीं,

मुक़ाम-ए-इश्क, है सिर्फ हमारा है।


हर कदम पर महकता है, इश्क का आलम,

मुक़ाम-ए-इश्क, हर दिल का राज़ है।


वहाँ रौशनी है, जहाँ अंधेरा है बेख़ौफ़,

मुक़ाम-ए-इश्क, हर दिल का महल है।


इस मुक़ाम पर हम, बस एक दूसरे के हैं,

इश्क की राहों में, हमारा मुक़ाम एक खास है।

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