मुक़ाम-ए-इश्क, एक खास जगह है,
जहाँ दिलों की बातें कही जाती हैं।
वहाँ हर रोशनी, तेरे इश्क से है,
मुक़ाम-ए-इश्क, एक ख्वाब सा है।
आसमानी राहों में, जहाँ परवाह नहीं,
मुक़ाम-ए-इश्क, है सिर्फ हमारा है।
हर कदम पर महकता है, इश्क का आलम,
मुक़ाम-ए-इश्क, हर दिल का राज़ है।
वहाँ रौशनी है, जहाँ अंधेरा है बेख़ौफ़,
मुक़ाम-ए-इश्क, हर दिल का महल है।
इस मुक़ाम पर हम, बस एक दूसरे के हैं,
इश्क की राहों में, हमारा मुक़ाम एक खास है।